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कल्पना सरोज की कहानी kalpna saroj ki kahani

कल्पना सरोज की कहानी kalpna saroj ki kahani 

अधिकतर पुरुष वर्ग के समाज में स्त्री को आगे बड़ते देखना सबकी आँखों में खटकता है के ये महिला कैसे आगे बड़ गई या कई पुरुष सामने भी आते है मदद के लिए , कहते है की अगर सोच सही हो तो दुनिया आपके कदम चूमती है और सोच नकारात्मक हो तो घर बाले भी हमें बेरोजगार और निक्कमा कहते है 


कल्पना सरोज की कहानी


today time के समय में आपके सामने एक ऐसी story के लेकर आ रहा हु जिसमे आप विश्वास ही नहीं कर पाएंगे के किस प्रकार से एक महिला ने अपने बल पर 900 करोड़ रु की सम्पत्ति को बनाया और किस प्रकार से अपने बिजनेस को आगे बढाया , जो पहले से ही बंद था 

यह कहानी कल्पना सरोज जी की है जिन्होंने यह कारनामा कर कर दिखाया है जिन्हें सरकार के दुवारा स्लमडाग मिलियवेयर का ख़िताब भी दिया गया है , पहले ऐसा नहीं था इन्होने पति के देहांत के बाद बहुत मुशिबतो का सामना भी किया जिसमे उन्हें मजदूरी घरो में काम भी करना पढ़ा , झाड़ू भी लगाईं और आज 900 करोड़ की सम्पत्ति को बनाया है 

बचपन का जीवन [ kalpana saroj story in hindi ] 

महाराष्ट्र [विदर्भ ] में जन्मी कल्पना एक दलित परिवार से आती है यह कहना जरुरी नहीं है [ दलित ] शब्द लेकिन स्पष्टिकरण के लिए अनिवार्य है यह एक ऐसे वर्ग से आती है जिसे समाज में अच्छी नजरो से नहीं देखा जाता है उन्हें क्सम्जोर वर्ग का माना जाता है 

कल्पना सरोज जिनका जन्म विदर्भ के एक निर्धन परिवार में हुआ था इन्होने वचपन से ही मेहनत का कार्य किया था सामाजिक कुप्रथा के कारण अन्याय सहना गोबर के उपले बनाना , उसे बेचना उनका कार्य था जिससे वह अपने घर और परिवार को चलाती थी  

विवाह 10 वर्ष में हुआ 

उनका विवाह मात्र उनकी 10 वर्ष की आयु में उनसे 10 साल बड़े व्यक्ति से हुआ था और शादी केर बाद कल्पना विदर्भ से निकलकर महाराष्ट्र के झोपड़ पट्टी में आगई थी पढ़ाई तो उनकी पहले ही छुट गई थी इसके साथ - साथ उन्हें पारिवारिक हिंसा का सामना भी करना पढ़ा था 

एक नई पहचान 

अनेक समस्या का सामना करने के बाद भी उन्हें भारत सरकार के दुवारा वर्ष 2013 में पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया था जिनका कोई बैग्राउंड भी नहीं था फिर भी उन्होंने अपनी मेहनत के दम  पर इतना बड़ा बिजनस बनाया था आज वर्तमान में उनकी कुल सम्पत्ति 900 करोड़ रु है .

 संघर्ष भरा जीवन 

कम उम्र में ही उनके पति का देहांत हो गया था लेकिन  उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कुछ समय बाद फिर से अपना कार्य प्रारंभ किया .16 वर्ष की आयु में वे एक फेक्ट्री में काम करने लगी जहा उन्हें 2 रु रोज मिलते थे वे एक गवेर्मेंट कम्पनी में काम करती थी और वह काम को सिख भी रही थी और कुछ समय बाद उन्होंने अपना स्वयं का काम करना प्रारंभ किया .

सरकारी योजना का लाभ 

उन्होंने सरकारी योजना का लाभ लेकर उन्होंने 50000 रु का लोन लिया और इसके बाद उन्होंने एक सिलाई मशीन और अन्य समान को ख़रीदा और इसके साथ एक ब्यूटी भी खोला जिसके कारण उनका काम चल पढ़ा और वे अव पैसे भी अपने परिवार को भेजने लगी .और उनकी मदद भी करने लगी . वे लगभग 17 से 18 घंटे भी काम करती थी 

बिजनेस को प्रारंभ किया 

मात्र 22 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना खुद का बिजनेस प्रारंभ किया और फर्नीचर स्टोर का बिजनेस प्रारंभ किया और इसके साथ ही उन्होंने एक व्यापारी फर्नीचर बिजनेस मेन से शादी कर ली कुछ समय बाद 1989 में उनके पति का देहांत हो गया . जब उन्हें पता चला की 17 साल से बंद उनकी फर्नीचर कम्पनी से जो सरकार ने रोक लगा दी थी उन्हें बापस चालू कर दिया है उन्होंने उसे फिर से करना प्रारंभ किया , कई चुनोती का सामना करने के बाद आखिर उन्होंने अपने बिजनेस को आगे बढाया .

 किसी के जीवन को एक लेख में लिखना संभव नहीं है यह लेख मात्र एक सार के रूप में देखा जा सकता है आप अनुभव कर सकते है की एक महिला जब आगे बढती है तो हजार परेशानी सामने आती है और वो भी महिला जो पुरुष प्रधान देश में आगे बढना बहुत परेशानी और दिक्कत आती है सब समस्या का सामना किया और आगे बड़ी .

Q ;- 1 कल्पना सरोज का जन्म कब हुआ था 

ANS ;- कल्पना सरोज का जन्म 1961 में हुआ था 

Q ;-2 कल्पना सरोज का जन्म कहा हुआ था 

ANS ;- कल्पना सरोज का जन्म महाराष्ट्र के विदर्भ में हुआ था 

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इस लेख में हमने आपको कल्पना सरोज की कहानी kalpna saroj ki kahani कल्पना सरोज का जन्म कब हुआ था कल्पना सरोज का जन्म कहा हुआ था कल्पना सरोज की कहानी kalpana saroj success से सम्बंधित जानकारी को देखेंगे .

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